इस पोस्ट में हम जानेंगे दुनिया के सबसे बड़े हिंदू मंदिरों (Top 10 Largest Hindu Temples) के बारे में। जिसे RealFakeStory ने अपनी भाषा में लिखा है । Top 10 Largest Hindu Temples पोस्ट को पढ़े और कमेंट कर के बताये की आपको यह जानकारी कैसी लगी।

Top 10 Largest Hindu Temples
1. अंगकोर वाट, कंबोडिया:
- विश्व का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है।
- विष्णु भगवान को समर्पित है।
2. अक्षरधाम मंदिर, दिल्ली, भारत:
यह मंदिर आधुनिक समय का एक अद्भुत उदाहरण है।
स्वामीनारायण भगवान को समर्पित है।
3. श्री रंगनाथस्वामी मंदिर, श्रीरंगम, भारत:
- यह मंदिर तमिलनाडु में स्थित है।
- विष्णु भगवान को समर्पित है।
4. मीनाक्षी मंदिर, मदुरै, भारत:
- यह मंदिर तमिलनाडु में स्थित है।
- देवी मीनाक्षी और भगवान सुंदरेश्वर को अर्पित है।
5. बेलूर मठ, कोलकाता, भारत:
- रामकृष्ण मिशन का मुख्यालय है।
- स्वामी विवेकानंद द्वारा स्थापित।
6. बृहदेश्वर मंदिर, तंजावुर, भारत:
- तमिलनाडु में स्थित यह मंदिर महान चोल शासकों द्वारा बनाया गया था।
- भगवान शिव को समर्पित है।
7. सोमनाथ मंदिर, गुजरात, भारत:
- यह मंदिर भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
- भगवान शिव को समर्पित है।
8. विरुपाक्ष मंदिर, हम्पी, भारत:
- यह मंदिर कर्नाटक में स्थित है।
- भगवान शिव को समर्पित है।
9. विट्ठल मंदिर, पंढरपुर, भारत:
महाराष्ट्र में स्थित यह मंदिर भगवान विट्ठल (विष्णु के अवतार) को समर्पित है।
10. जगन्नाथ मंदिर, पुरी, भारत:
- यह मंदिर ओडिशा में स्थित है।
- भगवान जगन्नाथ (कृष्ण) को समर्पित है।
ये मंदिर न केवल धार्मिक महत्व के हैं बल्कि वास्तुकला और सांस्कृतिक धरोहर के महत्वपूर्ण उदाहरण भी हैं। अब हम डिटेल्ड में जानेगे Top 10 Largest Hindu Temples के बारे में।
1. अंगकोर वाट, कंबोडिया: Angkor Wat

अंगकोर वाट दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है और कंबोडिया में स्थित है। यह मंदिर 12वीं शताब्दी में खमेर सम्राट सूर्यवर्मन द्वितीय द्वारा बनाया गया था और यह विष्णु भगवान को समर्पित है। अंगकोर वाट अपने विशाल आकार और अद्वितीय वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण और अद्वितीय धार्मिक स्थलों में से एक माना जाता है।
अंगकोर वाट का निर्माण खमेर वास्तुकला की उत्कृष्टता को दर्शाता है, जिसमें विशाल पत्थरों को तराशकर मंदिर के अद्भुत संरचनाओं को बनाया गया है। इसके चारों ओर एक बड़ी खाई है, जो इसे और भी भव्य बनाती है। मंदिर की दीवारों पर रामायण और महाभारत के प्रसंगों को उकेरा गया है, जो इसकी धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को और बढ़ाते हैं।
अंगकोर वाट को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में भी मान्यता प्राप्त है और यह कंबोडिया के राष्ट्रीय ध्वज का भी हिस्सा है, जो इसके महत्व को दर्शाता है। हर साल लाखों पर्यटक इस मंदिर को देखने आते हैं, जो इसे दुनिया के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक बनाता है।
2. अक्षरधाम मंदिर, दिल्ली, भारत: Akshardham Temple

अक्षरधाम मंदिर, जिसे स्वामीनारायण अक्षरधाम के नाम से भी जाना जाता है, दिल्ली में स्थित एक विशाल और भव्य हिंदू मंदिर है। यह मंदिर 6 नवंबर 2005 को भक्तों के लिए खोला गया था और यह स्वामीनारायण भगवान को समर्पित है। यह मंदिर भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता और वास्तुकला का एक अद्भुत उदाहरण है।
अक्षरधाम मंदिर अपनी भव्यता और सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। इसमें नक्काशीदार पत्थरों से बनी भव्य संरचनाएं, सुंदर बाग-बगीचे और आकर्षक फव्वारे शामिल हैं। मुख्य मंदिर के अंदर स्वामीनारायण भगवान की मूर्ति स्थित है, जो पूरी तरह से सोने से बनी है। इसके अलावा, मंदिर परिसर में एक विशाल यज्ञकुंड, एक संग्रहालय, एक सांस्कृतिक प्रदर्शनी और एक IMAX थिएटर भी है, जहाँ भारतीय संस्कृति और इतिहास पर आधारित फिल्में दिखाई जाती हैं।
अक्षरधाम मंदिर की वास्तुकला में पारंपरिक भारतीय शिल्पकला का उपयोग किया गया है। मंदिर के निर्माण में 11,000 से अधिक कारीगरों और स्वयंसेवकों ने योगदान दिया। मंदिर के परिसर में योगी ह्रदय कमल नामक एक सुंदर बगीचा है, जो योग, ध्यान और शांति का प्रतीक है। इसके अलावा, संध्या समय में मंदिर में एक शानदार संगीत फव्वारा शो भी होता है।
अक्षरधाम मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं का एक महत्वपूर्ण केंद्र भी है। यह मंदिर अपनी भव्यता, शांति और आध्यात्मिकता के लिए दुनिया भर के लाखों पर्यटकों और भक्तों को आकर्षित करता है।
3. श्री रंगनाथस्वामी मंदिर, श्रीरंगम, भारत: Sri Ranganathaswamy Temple

श्री रंगनाथस्वामी मंदिर, जिसे श्रीरंगम मंदिर भी कहा जाता है, तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली जिले में कावेरी नदी के एक द्वीप पर स्थित है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे दुनिया के सबसे बड़े सक्रिय हिंदू मंदिर परिसरों में से एक माना जाता है। यह मंदिर दक्षिण भारत के वैष्णव संप्रदाय के सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक है।
श्री रंगनाथस्वामी मंदिर अपनी विशालता और भव्यता के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर का मुख्य गोपुरम (द्वार) 236 फीट ऊँचा है और इसे “राजगोपुरम” कहा जाता है, जो भारत के सबसे ऊँचे मंदिर गोपुरमों में से एक है। मंदिर के परिसर में सात प्राकार (दीवारें) हैं, जो इसे घेरती हैं और मंदिर को एक दुर्ग के रूप में प्रस्तुत करती हैं।
मंदिर का मुख्य देवता भगवान रंगनाथ (विष्णु) की विशाल मूर्ति है, जो शेषनाग (सर्प) के ऊपर विश्राम कर रहे हैं। मंदिर में भगवान के कई अन्य रूपों और अवतारों के लिए भी मंदिर और मूर्तियाँ हैं। इसके अलावा, मंदिर में लक्ष्मी देवी (रंगनायकी) का एक प्रमुख मंदिर भी है।
श्रीरंगम मंदिर की वास्तुकला में द्रविड़ शैली की उत्कृष्टता देखने को मिलती है। इसमें विस्तृत नक्काशी, भव्य मंडप, और रंगीन चित्रकारी शामिल हैं। मंदिर के अंदर कई धार्मिक उत्सव और आयोजन होते हैं, जिनमें “वैश्विक यात्रा” उत्सव (वैश्विक रथ यात्रा) प्रमुख है, जो लाखों भक्तों को आकर्षित करता है।
श्री रंगनाथस्वामी मंदिर न केवल धार्मिक महत्व का स्थल है, बल्कि यह भारतीय कला, संस्कृति और वास्तुकला का एक प्रमुख केंद्र भी है। यह मंदिर दक्षिण भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित और प्रचारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
4. मीनाक्षी मंदिर, मदुरै, भारत: Meenakshi Temple

मीनाक्षी मंदिर तमिलनाडु के मदुरै शहर में स्थित है और यह दक्षिण भारत के सबसे प्रसिद्ध और भव्य मंदिरों में से एक है। यह मंदिर देवी मीनाक्षी (पार्वती का अवतार) और भगवान सुंदरेश्वर (शिव) को समर्पित है। मीनाक्षी मंदिर अपनी अद्भुत वास्तुकला, रंगीन गोपुरम (द्वार), और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।
मीनाक्षी मंदिर का निर्माण लगभग 2500 साल पुराना माना जाता है, लेकिन वर्तमान संरचना का निर्माण 16वीं शताब्दी में नायक वंश के शासकों ने किया था। मंदिर के परिसर में 14 गोपुरम हैं, जिनमें से सबसे ऊँचा गोपुरम 170 फीट ऊँचा है। इन गोपुरमों पर हजारों रंगीन मूर्तियाँ और नक्काशियाँ उकेरी गई हैं, जो देवी-देवताओं, मिथकों और पौराणिक कहानियों को दर्शाती हैं।
मंदिर का मुख्य आकर्षण देवी मीनाक्षी और भगवान सुंदरेश्वर के गर्भगृह हैं। देवी मीनाक्षी की मूर्ति हरे पत्थर से बनी है और भगवान सुंदरेश्वर की मूर्ति श्वेत पत्थर से बनी है। मंदिर के अंदर एक सुंदर सरोवर भी है, जिसे “पोट्टामरई कुलम” कहा जाता है, जिसका अर्थ है “सोने के कमल का तालाब”। इस सरोवर के किनारे मंदिर के कई महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन होते हैं।
मीनाक्षी मंदिर अपनी भव्यता और धार्मिक महत्व के अलावा अपने वार्षिक उत्सव “मीनाक्षी तिरुकल्याणम” के लिए भी प्रसिद्ध है। इस उत्सव के दौरान देवी मीनाक्षी और भगवान सुंदरेश्वर की दिव्य शादी का आयोजन होता है, जिसमें लाखों भक्त और पर्यटक शामिल होते हैं।
मीनाक्षी मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह भारतीय कला, संस्कृति और वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण भी है। यह मंदिर तमिलनाडु की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित और प्रचारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
5. बेलूर मठ, कोलकाता, भारत: Belur Math

बेलूर मठ, पश्चिम बंगाल के कोलकाता में हुगली नदी के तट पर स्थित है। यह मठ रामकृष्ण मिशन का मुख्यालय है और स्वामी विवेकानंद द्वारा स्थापित किया गया था। बेलूर मठ न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक केंद्र है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और दर्शन का महत्वपूर्ण स्थल भी है।
बेलूर मठ का निर्माण 1897 में शुरू हुआ और 1938 में पूरा हुआ। इस मठ की वास्तुकला विशेष रूप से उल्लेखनीय है क्योंकि यह हिंदू, इस्लामिक, बौद्ध, और ईसाई वास्तुकला का संगम है, जो स्वामी विवेकानंद के विचारों और सार्वभौमिक भाईचारे के सिद्धांत को दर्शाता है। मुख्य मंदिर के प्रवेश द्वार पर हिंदू मंदिर की तरह तोरण है, अंदर की संरचना इस्लामिक मस्जिद की तरह है, और छत बौद्ध स्तूप की तरह है।
बेलूर मठ में स्वामी विवेकानंद, श्री रामकृष्ण परमहंस और माँ शारदा देवी की प्रतिमाएँ स्थापित हैं। यहाँ नियमित रूप से आरती, ध्यान और भजन-कीर्तन आयोजित होते हैं, जो भक्तों और आगंतुकों को आध्यात्मिक शांति और प्रेरणा प्रदान करते हैं।
बेलूर मठ परिसर में कई महत्वपूर्ण इमारतें हैं, जिनमें स्वामी विवेकानंद का घर, रामकृष्ण मठ और पुस्तकालय शामिल हैं। मठ के पुस्तकालय में धार्मिक, आध्यात्मिक और दार्शनिक पुस्तकों का विशाल संग्रह है। इसके अलावा, यहाँ स्वामी विवेकानंद की स्मृति में एक संग्रहालय भी है, जिसमें उनकी व्यक्तिगत वस्त्र, पत्र, और तस्वीरें प्रदर्शित की गई हैं।
बेलूर मठ न केवल भारत के भीतर, बल्कि विश्व भर में रामकृष्ण मिशन के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। यहाँ हर साल लाखों श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं, जो स्वामी विवेकानंद के संदेश और रामकृष्ण परमहंस के विचारों से प्रेरणा लेते हैं। बेलूर मठ का शांत और सुंदर वातावरण सभी आगंतुकों के लिए एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करता है।
6. बृहदेश्वर मंदिर, तंजावुर, भारत: Brihadeeswarar Temple

बृहदेश्वर मंदिर, जिसे राजराजेश्वरम या पेरुवुदैयार कोविल भी कहा जाता है, तमिलनाडु के तंजावुर शहर में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यह चोल वंश के महान शासक राजा राजराज चोल प्रथम द्वारा 11वीं शताब्दी में बनाया गया था। बृहदेश्वर मंदिर भारतीय वास्तुकला का एक अद्भुत उदाहरण है और इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है।
बृहदेश्वर मंदिर का निर्माण ग्रेनाइट पत्थरों से किया गया है और यह अपनी विशालता और भव्यता के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर का मुख्य गोपुरम (द्वार) 216 फीट ऊँचा है और इसे “विमान” कहा जाता है। मंदिर के ऊपर एक विशाल कपोला (शिखर) है, जिसे एक ही पत्थर से तराशा गया है और इसका वजन लगभग 80 टन है। यह शिखर मंदिर की सबसे प्रमुख विशेषता है और इसे देखकर हर कोई आश्चर्यचकित हो जाता है।
मंदिर के अंदर भगवान शिव की विशाल शिवलिंग स्थापित है, जिसे “बृहदीश्वर” कहा जाता है। यह शिवलिंग 13 फीट ऊँचा है और इसे देखने के लिए हजारों भक्त यहाँ आते हैं। मंदिर के गर्भगृह में स्थित भगवान शिव की प्रतिमा के अलावा, मंदिर परिसर में देवी पार्वती, भगवान गणेश, भगवान कार्तिकेय और अन्य देवताओं की मूर्तियाँ भी हैं।
बृहदेश्वर मंदिर की दीवारों पर उत्कृष्ट नक्काशी और चित्रकारी की गई है, जो चोल काल की कला और संस्कृति को दर्शाती हैं। मंदिर के अंदर और बाहर दोनों स्थानों पर कई धार्मिक और पौराणिक कहानियों को उकेरा गया है। इसके अलावा, मंदिर में कई मंडप और हॉल हैं, जहाँ धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
बृहदेश्वर मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह भारतीय कला, संस्कृति और वास्तुकला का एक महत्वपूर्ण स्थल भी है। यह मंदिर तंजावुर की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित और प्रचारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और यहाँ हर साल लाखों पर्यटक और श्रद्धालु आते हैं।
7. सोमनाथ मंदिर, गुजरात, भारत: Somnath Temple

सोमनाथ मंदिर, गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदरगाह के पास स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसे भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। सोमनाथ मंदिर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व बहुत अधिक है और यह भारत के प्राचीनतम और महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है।
सोमनाथ मंदिर का इतिहास कई हज़ार साल पुराना है और इसे कई बार नष्ट और पुनर्निर्मित किया गया है। इस मंदिर का वर्तमान स्वरूप 1951 में भारत के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की देखरेख में बनाया गया था। मंदिर की वास्तुकला छोलुक्य शैली की है और इसका शिखर 150 फीट ऊँचा है। मंदिर का मुख्य द्वार “ज्योतिर्वेदी” के नाम से जाना जाता है।
मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग स्थापित है, जिसे “सोमनाथ” कहा जाता है। यह शिवलिंग चांदी से बना है और इसके चारों ओर सोने के गहनों से सजा हुआ है। मंदिर परिसर में कई अन्य मंदिर और धार्मिक स्थलों के साथ-साथ एक संग्रहालय भी है, जहाँ प्राचीन मूर्तियाँ, शिलालेख और धार्मिक वस्त्र प्रदर्शित किए गए हैं।
सोमनाथ मंदिर का उल्लेख कई प्राचीन ग्रंथों और पुराणों में मिलता है। यह माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण स्वयं चंद्रदेव ने किया था और इसे बाद में विभिन्न राजाओं और शासकों द्वारा पुनर्निर्मित किया गया। इस मंदिर का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह अरब सागर के तट पर स्थित है और इसके पीछे “त्रिवेणी संगम” है, जहाँ तीन नदियाँ – कपिला, हिरण्या और सरस्वती – मिलती हैं।
सोमनाथ मंदिर में महाशिवरात्रि, कार्तिक पूर्णिमा और श्रावण मास जैसे धार्मिक उत्सव बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं। इन अवसरों पर लाखों श्रद्धालु यहाँ आते हैं और भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं। मंदिर की प्रांगण में हर शाम एक भव्य आरती होती है, जो भक्तों को आध्यात्मिक शांति और आनंद प्रदान करती है।
सोमनाथ मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह भारतीय इतिहास और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। यह मंदिर गुजरात की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित और प्रचारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और यहाँ हर साल लाखों पर्यटक और श्रद्धालु आते हैं।
8. विरुपाक्ष मंदिर, हम्पी, भारत: Virupaksha Temple

विरुपाक्ष मंदिर कर्नाटक राज्य के हम्पी में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यह हम्पी के सबसे महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। विरुपाक्ष मंदिर हम्पी के ऐतिहासिक विजयनगर साम्राज्य के समय का है और इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है।
विरुपाक्ष मंदिर का निर्माण 7वीं शताब्दी में हुआ था, लेकिन विजयनगर साम्राज्य के शासकों ने इसे 14वीं और 15वीं शताब्दी में विस्तारित और सजाया। मंदिर की मुख्य विशेषता इसका भव्य गोपुरम (प्रवेश द्वार) है, जो लगभग 160 फीट ऊँचा है। इस गोपुरम पर अद्वितीय नक्काशी और मूर्तियाँ उकेरी गई हैं, जो भगवान शिव और अन्य देवताओं की कहानियाँ दर्शाती हैं।
मंदिर के गर्भगृह में विरुपाक्ष (शिव) की मूर्ति स्थित है। इसके अलावा, मंदिर में भगवान पंपापति और देवी भुवनेश्वरी के मंदिर भी हैं। मंदिर की दीवारों पर उत्कृष्ट नक्काशी और चित्रकारी की गई है, जो विजयनगर कला और संस्कृति की महानता को दर्शाती हैं। मंदिर के परिसर में एक बड़ा प्रांगण, मंडप और अन्य छोटे मंदिर भी हैं।
विरुपाक्ष मंदिर हम्पी के धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन का केंद्र है। यहाँ हर साल कई धार्मिक उत्सव और मेलों का आयोजन होता है, जिनमें महाशिवरात्रि और कार्तिक उत्सव प्रमुख हैं। इन उत्सवों के दौरान लाखों भक्त और पर्यटक यहाँ आते हैं और भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं।
मंदिर का शांत और सुंदर वातावरण सभी आगंतुकों को आध्यात्मिक शांति और आनंद प्रदान करता है। हम्पी का विरुपाक्ष मंदिर न केवल धार्मिक महत्व का स्थल है, बल्कि यह भारतीय इतिहास, कला और वास्तुकला का एक महत्वपूर्ण उदाहरण भी है। यह मंदिर हम्पी की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित और प्रचारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और यहाँ हर साल लाखों पर्यटक और श्रद्धालु आते हैं।
9. विट्ठल मंदिर, पंढरपुर, भारत: Vitthal Temple

विट्ठल मंदिर महाराष्ट्र राज्य के सोलापुर जिले के पंढरपुर शहर में स्थित है। यह मंदिर भगवान विट्ठल (विट्ठोबा) को समर्पित है, जिन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। विट्ठल मंदिर महाराष्ट्र के सबसे महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में से एक है और इसे “दक्षिण का काशी” भी कहा जाता है।
विट्ठल मंदिर का इतिहास कई शताब्दियों पुराना है और यह भक्ति आंदोलन के प्रमुख केंद्रों में से एक है। यह मंदिर विशेष रूप से संत तुकाराम, संत ज्ञानेश्वर, संत नामदेव और संत एकनाथ जैसे महान भक्तों के साथ जुड़ा हुआ है, जिन्होंने भगवान विट्ठल की भक्ति में अपनी अमूल्य रचनाएँ प्रस्तुत की हैं।
मंदिर की वास्तुकला हिंदू शैली में है और इसका मुख्य द्वार “नामदेव पायरी” के नाम से जाना जाता है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान विट्ठल की काले पत्थर से बनी मूर्ति स्थापित है, जिसमें भगवान खड़े मुद्रा में हैं और उनके दोनों हाथ कमर पर रखे हुए हैं। मूर्ति के पास ही देवी रुक्मिणी (विट्ठल की पत्नी) की मूर्ति भी स्थित है।
विट्ठल मंदिर में हर साल कई धार्मिक उत्सव और आयोजन होते हैं, जिनमें “आषाढ़ी एकादशी” और “कार्तिकी एकादशी” प्रमुख हैं। इन अवसरों पर लाखों भक्त पंढरपुर की ओर पैदल यात्रा (वारी) करते हैं और भगवान विट्ठल के दर्शन के लिए आते हैं। इस दौरान मंदिर का वातावरण भक्तिमय हो जाता है और चारों ओर भजन और कीर्तन गूंजते हैं।
मंदिर परिसर में कई छोटे-छोटे मंदिर और धार्मिक स्थलों के साथ-साथ एक बड़ा प्रांगण भी है, जहाँ भक्त पूजा और ध्यान करते हैं। इसके अलावा, मंदिर के पास चंद्रभागा नदी बहती है, जिसमें भक्त स्नान कर अपनी पवित्रता की कामना करते हैं।
विट्ठल मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह महाराष्ट्र की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। यह मंदिर भगवान विट्ठल की भक्ति और प्रेम का प्रतीक है और यहाँ हर साल लाखों श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं। पंढरपुर का विट्ठल मंदिर भारतीय भक्ति परंपरा और धार्मिक संस्कृति का एक अद्वितीय उदाहरण है।
10. जगन्नाथ मंदिर, पुरी, भारत: Jagannath Temple

जगन्नाथ मंदिर, ओडिशा के पुरी शहर में स्थित है और यह भगवान जगन्नाथ (कृष्ण के एक रूप) को समर्पित है। यह मंदिर भारतीय हिन्दू धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है और इसे विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा के लिए जाना जाता है।
मंदिर की विशेषताएँ:
वास्तुकला: जगन्नाथ मंदिर की वास्तुकला उड़ीसा शैली की है और इसकी संरचना भव्य और विशिष्ट है। मुख्य मंदिर की ऊँचाई लगभग 214 फीट है और इसका शिखर एक विशाल गोलाकार डोम से ढका हुआ है।
- भगवान जगन्नाथ: मंदिर में भगवान जगन्नाथ की विशाल मूर्ति स्थापित है, जो लकड़ी से बनी है। भगवान जगन्नाथ की मूर्ति अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियों की तुलना में असामान्य है, क्योंकि उसकी आँखें बहुत बड़ी हैं और उसकी मूर्ति का रंग काला है। भगवान जगन्नाथ के साथ उनकी बहन सुभद्र और भाई बलराम की मूर्तियाँ भी स्थापित हैं।
- रथ यात्रा: जगन्नाथ मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता इसकी वार्षिक रथ यात्रा (रथ यात्रा) है। यह उत्सव जुलाई के महीने में होता है और इसमें भगवान जगन्नाथ की मूर्तियाँ विशाल रथों पर सवार की जाती हैं। यह रथ यात्रा लाखों भक्तों और पर्यटकों को आकर्षित करती है, जो पूरे उत्सव के दौरान रथ को खींचने और भगवान की पूजा-अर्चना करने में भाग लेते हैं।
- अन्नदान: जगन्नाथ मंदिर में प्रतिदिन विशाल मात्रा में प्रसाद (महाप्रसाद) वितरित किया जाता है, जिसे “महाप्रसाद” कहा जाता है। यह प्रसाद भक्तों के लिए नि:शुल्क होता है और इसे पवित्र माना जाता है।
- धार्मिक महत्व: जगन्नाथ मंदिर की धार्मिक महत्वता बहुत अधिक है और इसे “चार धाम” तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है। इसे वैष्णव धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यधिक पवित्र माना जाता है।
जगन्नाथ मंदिर का वातावरण भक्तिमय और आध्यात्मिक है, और यहाँ हर साल लाखों श्रद्धालु और पर्यटक भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर की भव्यता, रथ यात्रा, और धार्मिक समारोह इसे भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाते हैं।
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