रात का समय हो चुका था और हवेली (Bhutiya Haveli) के चारों ओर घना अंधेरा छा गया था। आरव और उसके दोस्तों ने हवेली के एक बड़े हॉल में अपना डेरा डाला। वे सभी अपने-अपने स्लीपिंग बैग में सोने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उनके मन में एक अनजाना डर था। हवेली की दीवारों से आती अजीब-अजीब आवाजें उन्हें और भी बेचैन कर रही थीं।

Bhutiya Haveli
आरव ने अपने दोस्तों से कहा, “हम सबको एक साथ रहना चाहिए। अगर किसी को कुछ अजीब लगे तो तुरंत बाकी सबको बता देना।”
उनके दोस्त रोहित ने हां में सिर हिलाया और कहा, “मुझे तो यहां का माहौल ही अजीब लग रहा है। कहीं न कहीं कुछ तो गड़बड़ है।”
जैसे-जैसे रात बढ़ती गई, हवेली (Bhutiya Haveli) के भीतर की रहस्यमयी आवाजें और भी स्पष्ट होने लगीं। कभी-कभी दरवाजे के चरमराने की आवाज, तो कभी हवा में सरसराहट की आवाज सुनाई देती। इन आवाजों ने सभी को सतर्क कर दिया था।
रात के करीब दो बजे, अचानक से एक जोरदार धमाके की आवाज आई। सब चौंककर उठ बैठे। आरव ने टॉर्च जलाया और आवाज की दिशा में देखने लगा। हॉल के एक कोने में रखी एक पुरानी अलमारी का दरवाजा अपने आप खुल गया था।
आरव और उसके दोस्तों ने हिम्मत जुटाई और अलमारी के पास पहुंचे। उन्होंने देखा कि अलमारी के भीतर कुछ पुरानी किताबें और एक लोहे का छोटा बॉक्स रखा हुआ था। आरव ने वह बॉक्स उठाया और उसे खोलने की कोशिश की, लेकिन बॉक्स बहुत पुराना और जंग लगा हुआ था, इसलिए उसे खोलना आसान नहीं था।
आरव ने कहा, “हमें इस बॉक्स को दिन के उजाले में खोलने की कोशिश करनी चाहिए। फिलहाल, हमें इसे अपने पास सुरक्षित रखना होगा।”
बॉक्स को सुरक्षित रखकर वे फिर से सोने की कोशिश करने लगे। लेकिन अब नींद उनसे कोसों दूर थी। उनकी धड़कनें तेज हो गई थीं और मन में कई सवाल उठ रहे थे।
कुछ देर बाद, हॉल के बाहर से किसी के चलने की आवाज आई। सबने एक-दूसरे की तरफ देखा और फिर धीरे-धीरे दरवाजे की ओर बढ़े। उन्होंने दरवाजा खोलकर देखा, लेकिन वहां कोई नहीं था। यह देखकर उनकी चिंता और बढ़ गई।
आरव ने कहा, “यह हवेली (Bhutiya Haveli) सच में रहस्यमयी है। हमें दिन के उजाले में और जांच करनी होगी। रात के समय यहां कुछ भी कहना मुश्किल है।”
तभी, हवेली (Bhutiya Haveli) की छत से एक भारी चीज गिरने की आवाज आई। सब दौड़कर छत की ओर भागे। छत पर एक पुराना झूमर टूटकर गिरा हुआ था। लेकिन वहां कोई भी इंसान नहीं था जो इसे गिरा सकता था।
यह देखकर वे और भी ज्यादा डर गए। उन्हें यकीन हो गया था कि हवेली में कुछ अदृश्य ताकतें हैं जो उन्हें वहां से भगाने की कोशिश कर रही हैं।
आरव ने सबको शांत करते हुए कहा, “डरने की कोई जरूरत नहीं है। हमें हिम्मत से काम लेना होगा। यह हवेली चाहे जितनी भी रहस्यमयी क्यों न हो, हम इसके हर राज का पता लगाएंगे।”
रात का बचा हुआ समय बहुत ही बेचैनी में बीता। किसी को भी ठीक से नींद नहीं आई। सबके मन में एक ही सवाल था कि आखिर इस हवेली का रहस्य क्या है?
सुबह होते ही वे फिर से हवेली की जांच में जुट गए। अब उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती थी उस लोहे के बॉक्स को खोलना।
अध्याय 4 में हम जानेंगे कि वे उस बॉक्स को खोलकर क्या रहस्य उजागर करते हैं और हवेली की अदृश्य ताकतों का सामना कैसे करते हैं।