आरव और उसके दोस्तों ने हवेली के गुप्त तहखाने के बारे में जानने के बाद वहां जाने की तैयारी शुरू कर दी। तहखाने का पता लगाने के लिए उन्होंने उन नक्शों और दस्तावेज़ों का सहारा लिया जो उन्हें पिछले अध्याय में मिले थे।

तहखाने का प्रवेश द्वार (Bhootiya Haweli Part 6)
नक्शे के अनुसार, तहखाने का प्रवेश द्वार हवेली के सबसे पुराने हिस्से में था, जिसे कभी किसी ने जांचा नहीं था। यह हिस्सा हवेली के पिछवाड़े में एक छोटे से बगीचे के नीचे था। आरव और उसके दोस्तों ने बगीचे की घास और मिट्टी को हटाना शुरू किया और थोड़ी मेहनत के बाद एक पत्थर की सीढ़ी दिखाई दी जो नीचे की ओर जा रही थी।
आरव ने अपने दोस्तों से कहा, “हमने सही जगह ढूंढ ली है। अब हमें बहुत ही सावधानी से नीचे जाना होगा।”
वे सभी एक-एक करके सीढ़ियों से नीचे उतरे। सीढ़ियाँ काफी पुरानी और जर्जर थीं, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। नीचे एक बड़ा कमरा था, जिसमें चारों ओर धूल और जाले लगे हुए थे। कमरे के बीचों-बीच एक पुरानी मेज थी, जिस पर कुछ दस्तावेज़ और किताबें रखी हुई थीं।
प्राचीन दस्तावेज़ों की खोज (Bhootiya Haweli)
आरव और उसके दोस्तों ने उन दस्तावेज़ों को ध्यान से पढ़ना शुरू किया। दस्तावेज़ बहुत पुराने और जर्जर हो चुके थे, लेकिन उनमें लिखी जानकारी बहुत महत्वपूर्ण थी। उन्होंने देखा कि ये दस्तावेज़ ठाकुर प्रताप सिंह के समय के थे और इनमें हवेली के निर्माण, उसके रहस्यों और अभिशाप के बारे में लिखा हुआ था।
एक दस्तावेज़ में लिखा था: (Bhootiya Haweli)
“यह हवेली एक प्राचीन मंदिर के अवशेषों पर बनाई गई थी। मंदिर में एक शक्तिशाली अनुष्ठान किया गया था, जिससे यहां की भूमि में अदृश्य ताकतों का वास हो गया। हवेली के निर्माण के समय इन ताकतों को नियंत्रित करने के लिए एक विशेष अनुष्ठान किया गया था, लेकिन वह अनुष्ठान अधूरा रह गया। इसी कारण से हवेली में अदृश्य ताकतों का प्रभाव बढ़ता गया।”
दूसरे दस्तावेज़ में हवेली के अभिशाप को दूर करने का तरीका लिखा हुआ था। उसमें बताया गया था कि अधूरे अनुष्ठान को पूरा करने के लिए कुछ विशेष सामग्री और मंत्रों की आवश्यकता थी। इन मंत्रों को हवेली के सबसे पुराने कमरे में पढ़कर अनुष्ठान को पूरा किया जा सकता था।
अनुष्ठान की तैयारी (Bhootiya Haweli)
आरव ने उन दस्तावेज़ों को ध्यान से पढ़ा और कहा, “हमें इन अनुष्ठानों को पूरा करना होगा। इसी से हम हवेली के अभिशाप को खत्म कर सकते हैं।”
उन्होंने दस्तावेज़ों में दी गई सामग्री की सूची बनाई और अपने दोस्तों के साथ मिलकर उन सामग्रियों को इकट्ठा करना शुरू किया। सामग्री में कुछ दुर्लभ जड़ी-बूटियाँ, एक विशेष प्रकार की धूप, और कुछ पुरानी वस्तुएँ शामिल थीं जो हवेली के विभिन्न हिस्सों में छुपी हुई थीं।
उन्होंने हवेली के हर कोने की जांच की और धीरे-धीरे सारी सामग्री इकट्ठा कर ली। अब उन्हें सिर्फ उन मंत्रों को पढ़कर अनुष्ठान को पूरा करना था।
अनुष्ठान का समय (भूतिया हवेली)
रात का समय चुना गया क्योंकि दस्तावेज़ों में लिखा था कि अनुष्ठान केवल रात के समय ही प्रभावी होता है। हवेली के सबसे पुराने कमरे में, जहां ठाकुर प्रताप सिंह का परिवार पहली बार बसा था, वहां अनुष्ठान की तैयारी की गई। कमरे को साफ किया गया और बीच में एक छोटा सा वेदी बनाकर उसमें सारी सामग्री रखी गई।
आरव ने अपने दोस्तों से कहा, “हम सबको मिलकर यह अनुष्ठान करना होगा। हमें किसी भी प्रकार की गलती नहीं करनी चाहिए।”
सबने मिलकर दस्तावेज़ों में दिए गए मंत्रों को पढ़ना शुरू किया। मंत्र पढ़ते ही हवेली में एक अजीब सी हलचल महसूस होने लगी। हवेली की दीवारों से अजीब-अजीब आवाजें आने लगीं और हवा में एक भारीपन छा गया। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और मंत्र पढ़ते रहे।
जैसे-जैसे अनुष्ठान आगे बढ़ता गया, हवेली की अदृश्य ताकतें धीरे-धीरे शांत होने लगीं। अंततः, आखिरी मंत्र पूरा होते ही हवेली में एकदम सन्नाटा छा गया। ऐसा लग रहा था मानो अदृश्य ताकतें अब हमेशा के लिए वहां से विदा हो गई हों।
हवेली का नया रूप (Bhootiya Haweli)
अनुष्ठान की सफलता के बाद, हवेली का माहौल अचानक से बदल गया। अब वहां कोई डरावनी आवाजें या अदृश्य ताकतें नहीं थीं। हवेली फिर से शांत और स्थिर हो गई थी।
आरव और उसके दोस्तों ने राहत की सांस ली। उन्हें अब यकीन हो गया था कि उन्होंने हवेली के अभिशाप को खत्म कर दिया है। वे सभी बहुत खुश थे और गर्व महसूस कर रहे थे कि उन्होंने इस रहस्य को सुलझा लिया।
आरव ने मुस्कुराते हुए कहा, “हमने हवेली के हर रहस्य को सुलझा लिया है। अब यह जगह सुरक्षित है और इसे फिर से अपने पुराने वैभव को प्राप्त करने का मौका मिलेगा।”
अध्याय 7 में हम जानेंगे कि हवेली के रहस्य उजागर होने के बाद आरव और उसके दोस्तों का जीवन कैसे बदलता है और वे इस अनुभव से क्या सीखते हैं।