Bhootiya Haveli Part 9: हवेली की अदृश्य ताकतों और भूतिया आवाज़ों से मुक्ति मिलने के बाद, आरव और उसके दोस्तों ने सोचा कि अब वे हवेली के इतिहास और रहस्यों को संरक्षित कर सकते हैं। लेकिन हवेली का हर कोना छानने के बाद भी, उन्होंने महसूस किया कि उनकी कहानी अभी खत्म नहीं हुई थी। एक नया अध्याय तब शुरू हुआ जब एक अनजान मेहमान ने उनकी ज़िंदगी में प्रवेश किया।

अजनबी का आगमन (Bhootiya Haveli Part 9)
एक दिन, हवेली के दरवाजे पर दस्तक हुई। आरव ने दरवाजा खोला तो सामने एक अजनबी खड़ा था। वह लगभग पचास वर्ष का एक आदमी था, जिसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी। उसने खुद को रघु के रूप में परिचय दिया और कहा कि वह हवेली के इतिहास के बारे में बहुत कुछ जानता है।
रघु ने कहा, “मैं इस हवेली का पुराना सेवक हूँ और मुझे इसके हर कोने की जानकारी है। मैंने सुना है कि आप लोग हवेली के रहस्यों को सुलझा रहे हैं। क्या मैं आपकी मदद कर सकता हूँ?”
रघु की कहानी
आरव और उसके दोस्तों ने रघु को अंदर बुलाया और उसकी कहानी सुनी। रघु ने बताया कि वह ठाकुर प्रताप सिंह के समय में हवेली का सेवक था और उसने हवेली में घटित कई रहस्यमयी घटनाओं को खुद देखा था।
रघु ने कहा, “इस हवेली में कई सालों तक भूतिया ताकतों का वास रहा है। मैंने अपने जीवन में कई अजीब घटनाओं का सामना किया है। ठाकुर प्रताप सिंह के परिवार की त्रासदी के बाद, मैंने यह हवेली छोड़ दी थी। लेकिन अब मैंने सुना कि आप लोग हवेली को उसकी पुरानी शांति लौटाने में सफल रहे हैं, इसलिए मैं वापस आया हूँ।”
रहस्यमयी दस्तावेज़
रघु ने बताया कि उसके पास कुछ प्राचीन दस्तावेज़ हैं जो हवेली के इतिहास से जुड़ी कुछ और महत्वपूर्ण जानकारियाँ देते हैं। उसने एक पुराना बक्सा निकाला और उसमें से कुछ दस्तावेज़ निकाले।
एक दस्तावेज़ में हवेली के निर्माण और उसके पीछे के उद्देश्यों के बारे में लिखा था। उसमें लिखा था:
“यह हवेली एक प्राचीन मंदिर के अवशेषों पर बनाई गई थी। मंदिर में एक शक्तिशाली अनुष्ठान किया गया था, जिससे यहां की भूमि में अदृश्य ताकतों का वास हो गया। हवेली के निर्माण के समय इन ताकतों को नियंत्रित करने के लिए एक विशेष अनुष्ठान किया गया था, लेकिन वह अनुष्ठान अधूरा रह गया।”
दूसरे दस्तावेज़ में हवेली के अभिशाप को दूर करने का तरीका लिखा हुआ था। उसमें बताया गया था कि अधूरे अनुष्ठान को पूरा करने के लिए कुछ विशेष सामग्री और मंत्रों की आवश्यकता थी। इन मंत्रों को हवेली के सबसे पुराने कमरे में पढ़कर अनुष्ठान को पूरा किया जा सकता था।
अंतिम अनुष्ठान
आरव और उसके दोस्तों ने रघु के दस्तावेज़ों को ध्यान से पढ़ा और समझा कि अभी भी कुछ अनुष्ठान अधूरे थे जिन्हें पूरा करना बाकी था। रघु ने बताया कि इन अनुष्ठानों को पूरा करने के बाद ही हवेली पूरी तरह से मुक्त हो सकेगी।
रघु की मदद से, उन्होंने उन अनुष्ठानों को पूरा करने की योजना बनाई। वे हवेली के सबसे पुराने कमरे में गए और वहां एक विशेष वेदी बनाई। रघु ने उन प्राचीन मंत्रों को पढ़ा और अनुष्ठान शुरू किया।
जैसे-जैसे अनुष्ठान आगे बढ़ा, हवेली में एक अजीब सी शांति फैलती गई। हवा में एक मधुर सुगंध फैल गई और कमरे का माहौल एकदम बदल गया।
अनुष्ठान की सफलता
अंततः, अनुष्ठान पूरा होते ही हवेली में एक अद्भुत प्रकाश फैल गया। ऐसा लग रहा था मानो हवेली की अदृश्य ताकतें हमेशा के लिए शांत हो गई हों। रघु ने राहत की सांस ली और कहा, “अब हवेली पूरी तरह से मुक्त है। आप सभी ने इसे एक नया जीवन दिया है।”
भविष्य की योजना
हवेली के पूरी तरह से मुक्त हो जाने के बाद, आरव और उसके दोस्तों ने यह तय किया कि वे हवेली (Bhootiya Haveli) के इतिहास को संरक्षित करने के लिए एक संग्रहालय बनाएंगे। उन्होंने रघु की मदद से हवेली के हर कोने की सफाई की और वहां मौजूद सभी प्राचीन वस्तुओं और दस्तावेज़ों को व्यवस्थित किया।
आरव ने मुस्कुराते हुए कहा, “हमने हवेली के हर रहस्य को सुलझा लिया है। अब यह जगह फिर से जीवंत हो गई है और इसे इसके पुराने वैभव को प्राप्त करने का समय है।”
रघु ने भी हवेली के संरक्षक बनने का फैसला किया और वहां रहने लगा। उसने आरव और उसके दोस्तों को हवेली के इतिहास के बारे में और भी कई कहानियाँ सुनाईं।
अध्याय 10 में हम जानेंगे कि हवेली के संग्रहालय बनने के बाद, आरव और उसके दोस्तों का जीवन कैसे बदलता है और वे इस अनुभव से क्या सीखते हैं।