हवेली के संग्रहालय बनने और उसकी अद्भुत कहानियों को लोगों तक पहुँचाने के बाद भी, आरव और उसके दोस्तों को यह महसूस हुआ कि हवेली के सभी रहस्य अभी तक पूरी तरह से उजागर नहीं हुए थे। उन्होंने यह तय किया कि वे हवेली के उन अनसुलझे रहस्यों की तह तक जाएंगे, जिनके बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं मिली थी।

नई खोज (Bhootiya Haveli Part 12)
एक दिन, जब आरव और उसके दोस्त हवेली के पुराने दस्तावेज़ों को व्यवस्थित कर रहे थे, उन्हें एक और प्राचीन बक्सा मिला। इस बक्से में कुछ और दस्तावेज़ और एक पुराना नक्शा था, जो हवेली के एक गुप्त हिस्से की ओर संकेत कर रहा था। इस नक्शे में हवेली के तहखाने में एक और छिपे कमरे का उल्लेख था, जिसका दरवाजा अभी तक नहीं खोजा गया था।
आरव ने नक्शे को ध्यान से देखा और अपने दोस्तों के साथ तहखाने की ओर बढ़ा। वे नक्शे का अनुसरण करते हुए एक दीवार के पास पहुंचे, जो देखने में सामान्य दीवार की तरह लग रही थी। लेकिन जब उन्होंने दीवार को ठोक कर देखा, तो उन्हें पता चला कि यह एक खोखली दीवार है।
गुप्त दरवाजा
आरव और उसके दोस्तों ने दीवार को ध्यान से जांचा और पाया कि इसमें एक गुप्त दरवाजा छिपा हुआ था। उन्होंने उस दरवाजे को खोला और अंदर एक छोटे से कमरे में प्रवेश किया। इस कमरे में कुछ और प्राचीन दस्तावेज़ और एक बड़ा सा बॉक्स रखा हुआ था।
बॉक्स को खोलने पर, उन्होंने देखा कि इसमें कुछ और रहस्यमयी वस्तुएं थीं। एक पुरानी डायरी, कुछ चित्र और एक छोटी सी मूर्ति थी।
प्राचीन डायरी
डायरी में ठाकुर प्रताप सिंह के दादा, ठाकुर राजवीर सिंह की लिखी हुई कहानियाँ थीं। इसमें हवेली के निर्माण के पीछे के असली उद्देश्यों और उन अदृश्य ताकतों के बारे में विस्तार से लिखा था, जिन्हें नियंत्रित करने के लिए अनुष्ठान किए गए थे।
डायरी के एक पन्ने पर लिखा था:
“यह हवेली एक प्राचीन मंदिर के अवशेषों पर बनाई गई थी। इस मंदिर में एक शक्तिशाली अनुष्ठान किया गया था, जिससे यहां की भूमि में अदृश्य ताकतों का वास हो गया। हवेली के निर्माण के समय इन ताकतों को नियंत्रित करने के लिए एक विशेष अनुष्ठान किया गया था, लेकिन वह अनुष्ठान अधूरा रह गया।”
रहस्यमयी मूर्ति
बॉक्स में मिली छोटी सी मूर्ति भी विशेष रूप से महत्वपूर्ण थी। यह मूर्ति किसी प्राचीन देवता की प्रतीत होती थी और उसके नीचे कुछ लिखा हुआ था:
“यह मूर्ति उस शक्तिशाली अनुष्ठान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसे सही स्थान पर स्थापित करने से हवेली की अदृश्य ताकतों को नियंत्रित किया जा सकता है।”
आरव और उसके दोस्तों ने यह समझा कि यह मूर्ति हवेली के अधूरे अनुष्ठान को पूरा करने में मदद कर सकती है।
मूर्ति की स्थापना
उन्होंने रघु से इस मूर्ति के महत्व के बारे में चर्चा की और तय किया कि इसे हवेली के मुख्य हॉल में स्थापित किया जाए। रघु ने उन्हें बताया कि यह मूर्ति विशेष रूप से शक्ति और सुरक्षा का प्रतीक है और इसे स्थापित करने से हवेली की अदृश्य ताकतों को हमेशा के लिए नियंत्रित किया जा सकता है।
आरव और उसके दोस्तों ने मूर्ति को हवेली के मुख्य हॉल में स्थापित किया और एक विशेष अनुष्ठान किया। उन्होंने ठाकुर राजवीर सिंह की डायरी में दिए गए मंत्रों का उच्चारण किया और मूर्ति के सामने प्रार्थना की।
अनुष्ठान की सफलता
मूर्ति की स्थापना और अनुष्ठान के बाद, हवेली में एक अद्भुत शांति और सुरक्षा का माहौल छा गया। ऐसा महसूस हो रहा था मानो हवेली की सभी अदृश्य ताकतें अब पूरी तरह से नियंत्रित हो चुकी हैं और हवेली का हर रहस्य अब उजागर हो चुका है।
हवेली का नया अध्याय
इस अंतिम संदेश के साथ, आरव और उसके दोस्तों ने महसूस किया कि उनकी यात्रा अब पूरी हो चुकी है। उन्होंने हवेली के हर कोने को जान लिया था और इसे एक सुरक्षित और शांति पूर्ण स्थान बना दिया था।
आरव ने मुस्कुराते हुए कहा, “हमने हवेली को उसके सभी रहस्यों से मुक्त किया है। अब यह स्थान पूरी तरह से जीवंत और सुरक्षित है।”
रघु ने भी हवेली के संरक्षक बनने का फैसला किया और वहां रहने लगा। उसने आरव और उसके दोस्तों को हवेली के इतिहास के बारे में और भी कई कहानियाँ सुनाईं।
अध्याय 13 में हम जानेंगे कि हवेली के संग्रहालय बनने के बाद, आरव और उसके दोस्तों का जीवन कैसे बदलता है और वे इस अनुभव से क्या सीखते हैं।