हाथी और सियार की दोस्ती: किसी दिन की बात है, जंगल में एक हाथी और एक सियार रहते थे। हाथी बड़ा था, मजबूत था, और उसके पास अपनी ताकत का एक अलग ही आभास था। सियार छोटा-सा था, लेकिन उसमें चालाकी और बुद्धि की अद्वितीयता थी।

हाथी और सियार की दोस्ती
एक दिन, जंगल में बहुत गर्मी थी। हाथी अपनी बड़ी-बड़ी आंखों से सूरज की ओर देख रहा था, और सियार छालों के बीच छिपकर बाहर निकला।
सियार ने हाथी से कहा, “दोस्त, यह गर्मी बहुत मुश्किल है। आओ, हम साथ में एक स्थल ढूंढें जहां ठंडा पानी हो।”
हाथी ने सोचा और कहा, “ठीक है, चलते हैं।”
दोनों शुरू हो गए। हाथी बड़े कदमों से चलता था, जबकि सियार उसके पास छलांग लगाते हुए चल रहा था। धीरे-धीरे उन्होंने एक जल प्रवाह तक पहुँच लिया, जहां ठंडा पानी बह रहा था।
सियार बोला, “देखो, यहां पर बहुत ठंडा पानी है। हम यहां आराम कर सकते हैं।”
हाथी ने खुशी से एक बड़ा साँस ली और कहा, “तुमने सही कहा। धन्यवाद, मेरे छोटे दोस्त।”
दोनों बहुत खुश थे। वे एक साथ ठंडे पानी में बहुत आराम से बिता रहे थे।
फिर एक दिन, जंगल में एक भयंकर शोर हुआ। एक शिकारी अपनी बंदूक लेकर आया था। हाथी ने उसे देखा, लेकिन सियार ने बिना देखे ही दौड़कर एक छाल के पीछे छिप गया।
हाथी सोचने लगा, “मुझे अपने छोटे दोस्त को बचाना होगा।”
उसने बड़े आवाज़ में बोला, “शिकारी, मैं हूँ यहां! मुझे पकड़ो!”
शिकारी ने अपनी बंदूक की दिशा बदली और हाथी की ओर बढ़ा।
तभी सियार बाहर आकर बोला, “आतंक मत फैलाओ, शिकारी! हम तुम्हारे लिए बहुत ही खतरनाक हैं।”
शिकारी ने हाथी और सियार को देखा, और उसे यह समझ में आया कि इन दोनों ने मिलकर उसे छलांग दी है। उसने अपनी बंदूक नीचे की ओर कर दी, और बिना कुछ कहे चला गया।
हाथी ने सियार को देखा और कहा, “तुमने बड़ी होशियारी से हमें बचा लिया, मेरे दोस्त।”
सियार ने हंसते हुए कहा, “दोस्ती में सब कुछ संभव होता है, बस आपकी मदद करने का मौका मिला।”
इसके बाद से, हाथी और सियार की दोस्ती और मजबूत हो गई। वे हमेशा एक-दूसरे की मदद करते और एक साथ जंगल की सुरक्षा में योगदान देते रहे।